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गांव से ग्लोबल तक: वन और जल संरक्षण की योद्धा सरस्वती ध्रुव का ‘जल जगार’ में सम्मान

छत्तीसगढ कौशल न्युज  धमतरी :- जिले के नगरी ब्लॉक में रहने वाली सरस्वती ध्रुव ने अपने साहस, संकल्प, और कड़ी मेहनत से वन और जल संरक्षण के क्षे...



छत्तीसगढ कौशल न्युज 

धमतरी:- जिले के नगरी ब्लॉक में रहने वाली सरस्वती ध्रुव ने अपने साहस, संकल्प, और कड़ी मेहनत से वन और जल संरक्षण के क्षेत्र में एक मिसाल कायम की है। नगरी वार्ड सभा की सचिव और वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) समिति की सक्रिय सदस्य सरस्वती ध्रुव का योगदान न केवल उनके समुदाय बल्कि पूरे राज्य के लिए प्रेरणास्त्रोत है। 43 वर्षीय सरस्वती, जो 12वीं तक पढ़ी हैं, 2004 से खोज संस्था के साथ मिलकर वनाधिकारों के संरक्षण और जागरूकता के लिए कार्यरत हैं। 2020 में वन संसाधन का अधिकार मिला, जिसके बाद उन्होंने ग्राम सभा के साथ मिलकर वन प्रबंधन के कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। जिले में हुए ‘जल जगार’ महोत्सव में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सरस्वती का सम्मान किया।

सरस्वती ध्रुव, जो एक एफआरए प्रशिक्षक भी हैं, ने जल और वन संरक्षण की दिशा में अपने नवाचारों से अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी पहचान बनाई है। 2023-2024 में, उन्हें थाईलैंड और इंडोनेशिया जाने का अवसर मिला, जहां उन्होंने स्थानीय समुदायों के साथ जल और वन संरक्षण के अपने अनुभव साझा किए। सरस्वती का मानना है कि यदि जंगल नहीं बचेंगे, तो जीवन असंभव हो जाएगा। उनके अनुसार, वन और जल को अलग करके नहीं देखा जा सकता और हमें इनके संरक्षण के लिए सामूहिक रूप से प्रयास करना चाहिए।

1981 में एक गरीब आदिवासी गोंड परिवार में जन्मी सरस्वती का जीवन वनोपज पर निर्भर रहा है। चार बहनों और एक भाई के साथ पली-बढ़ी सरस्वती के माता-पिता नहीं रहे, पर उनका संघर्ष और समर्पण उन्हें निरंतर आगे बढ़ा रहा है। उनकी एक बेटी है, और उनके पति खेती करते हैं। परिवार की जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ सरस्वती ने वन संरक्षण के कार्यों को प्राथमिकता दी है। सरस्वती अपने बचपन के दिनों की बातों को याद करते हुए बताती हैं कि कैसे उनकी माँ पानी लेने के लिए मिलो दूर जाया करती थी। बचपन की आंखों देखी और पर्यावरण को संरक्षित करने की इच्छा सरस्वती के मन में हमेशा से रही है। वे बताती हैं कि उन्होंने वनाधिकार के सारे नियम और कानून पढ़े और उसे बेहतर तरीके से समझा, ताकि वे और लोगों को इसके प्रति अच्छी तरह से समझा सके। वे आगे बताती हैं कि उनके क्षेत्र के सामूहिक प्रयासों के बदौलत नगरी नगर पंचायत को वन संसाधन का अधिकार मिला, जो देश का पहला वन संसाधन अधिकार पाने वाला शहरी क्षेत्र है।

सरस्वती ने खोज नामक समाज सेवी संस्था और समुदाय के सहयोग से जंगलों को संरक्षित करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। सरस्वती के अनुसार, नगरी ब्लॉक में संयुक्त वन प्रबंधन प्रणाली ने वन और जल संरक्षण में अहम भूमिका निभाई है। ग्राम सभा ने यह सुनिश्चित किया है कि पिछले तीन वर्षों से जंगलों में आग न लगे, जिससे वन की सुरक्षा को मजबूती मिली। इसका परिणाम यह हुआ कि मटियाबाहरा, तुमड़ीबाहरी, और खुदरपानी जैसे गांवों में प्राकृतिक कोसा रेशम का उत्पादन होने लगा, जो स्थानीय लोगों के लिए आजीविका का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन गया है। ग्राम सभा के इस प्रयास से स्थानीय ग्रामीणों को 15 से 20 दिनों में 7 से 8 हजार रुपये की कमाई हो रही है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ हो रही है। इसके साथ ही जंगलों में बॉल्डर चेक बनाए गए हैं, जो पानी को रोकने और वन की मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने में मददगार साबित हो रहे हैं। इस प्रकार, जल संरक्षण और वन क्षेत्र की सुरक्षा के लिए सामुदायिक सहयोग और जागरूकता ने एक सशक्त नींव रखी है, जिससे न केवल पर्यावरण सुरक्षित हो रहा है बल्कि स्थानीय ग्रामीणों को भी इसके फायदे मिल रहे हैं।

हाल ही में धमतरी जिले में आयोजित 'जल जागर' कार्यक्रम के दौरान, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सरस्वती ध्रुव के कार्यों की भूरी-भूरी प्रशंसा की। मुख्यमंत्री ने सरस्वती को सम्मानित करते हुए कहा, "सरस्वती ध्रुव का काम हम सभी के लिए प्रेरणा है। जब महिलाएं समाज में इतनी सक्रियता से योगदान करती हैं, तो निश्चित ही समाज में बदलाव की राह आसान होती है। अधिक से अधिक लोगों को सरस्वती ध्रुव की तरह पर्यावरण की रक्षा के लिए आगे आना चाहिए।" उनके प्रयासों से न केवल स्थानीय जंगलों में जल स्तर बना हुआ है, बल्कि समाज में जागरूकता भी बढ़ी है। जल जागर अभियान में सरस्वती सामूहिक सहभागिता का एक उत्कृष्ट उदाहरण हैं, जिनके प्रयासों ने समाज को पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक नई सोच दी है।

सरस्वती ध्रुव आज न केवल नगरी ब्लॉक, बल्कि पूरे धमतरी और छत्तीसगढ़ के लिए गौरव का प्रतीक बन गई हैं। जल और वन संरक्षण के क्षेत्र में उनका यह प्रयास न केवल आने वाली पीढ़ियों के लिए जल संकट को कम करने का कार्य करेगा बल्कि पर्यावरण को सुरक्षित रखने की दिशा में भी एक मजबूत कदम है। उनके अथक प्रयासों ने यह साबित कर दिया है कि जब समुदाय एकजुट होकर काम करता है, तो किसी भी चुनौती का सामना आसानी से किया जा सकता है। जल, जंगल और जीवन के बीच के इस आपसी संबंध को समझने और उन्हें बचाने के लिए सरस्वती का प्रयास एक प्रेरणादायक उदाहरण है।

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