छत्तीसगढ कौशल न्युज कुरूद:- ग्रामीण अंचल में इन दिनों फसल कटाई के बाद खेतों में कीमती पेड़ों की लकड़ियों की कटाई जोरों पर चल रही है। लकड़ी क...
छत्तीसगढ कौशल न्युज
कुरूद:- ग्रामीण अंचल में इन दिनों फसल कटाई के बाद खेतों में कीमती पेड़ों की लकड़ियों की कटाई जोरों पर चल रही है। लकड़ी कोचिए किसानों से सस्ते दामों में लकड़ी लेकर आरा मिलों में बेचकर ऊंचे दाम कमा रहे हैं। फसल कटाई के बाद लकड़ी तस्कर सक्रिय हो गए हैं। किसानों से संपर्क कर उनके खेतों में लगी कीमती लकड़ी सस्ते दामों में खरीद रहे हैं।
इन दिनों ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में प्रतिबंधित वृक्षों की कटाई और कीमती इमारती लकड़ी का अवैध व्यापार खूब जोरों पर है। जहां इस कार्य में संबंधित स्थानीय जिला विभागीय अफसर भी लाचार नजर आ रहे हैं। इस अवैध कार्य के करोबार को बढ़ावा देने में बकायदा संबंधित विभागीय अफसरों की अंदरूनी सहमति और संरक्षण प्रदान तक हो रहा है।
उल्लेखनीय है कि जिले के ग्राम झलमला, बेलमांड उमरादाहा भेड़िया नवागांव व गुंडरदेही ब्लाक के ग्राम सलोनी जैसे कई ग्रामीण इलाकों में लकड़ी व्यापार के इस गैर कानूनी प्रतिबंधित कारोबार के लिए सुरक्षित ठिकाना व केंद्र साबित हो रहा है। पूरी व्यवस्था के साथ जिले भर में लकड़ी माफिया जबरदस्त प्रभाव व राजीनीतिक सहभागिता के साथ सक्रिय है। वहीं, इस मामले में जिला सहित ब्लाक के विभाग इस पर फिसड्डी साबित हो रही है। विदित हो कि एक ओर जहां जिला प्रशासन वृक्ष बचाने और पौधारोपण करने की बात कहते हैं।
वहीं, वास्तविकता में इसकी जमीनी हकीकत इसके उलट है। प्रशासन के पौधारोपण और वृक्ष बचाओ आदेश का जमकर लकड़ी तस्करों द्वारा मखौल उड़ाया जा रहा है। पूरे सिस्टम को ताक में रखकर जमकर प्रतिबंधित लकड़ी के कारोबार खूब चल रहा है। इसको देखकर पर्यावरण प्रेमी व शुभचिंतक भी चकित हैं, क्योंकि लकड़ी तस्करों द्वारा जिस प्रकार से हरे भरे पेड़ों को काटा जा रहा है। इसके मुकाबले में पौधारोपण की गति काफी धीमी है।
वन, राजस्व विभाग की नाकामी
यूं तो जिले में वन व राजस्व के संबंधित मामले को लेकर बकायदा विभाग बनाकर एक व्यवस्थित टीम के साथ विभागीय अफसर भी जिले को प्रदान किए गए हैं। जब बात इनके जिम्मेदारी व कार्यप्रणाली पर आए, तो इस पर कई तरह की सवालिया निशान उठने लगती है। सूत्रों के मुताबिक जहां आम लोगों में प्रशासन द्वारा अंदरूनी सहभागिता प्रदान करते हुए कार्रवाई करने से बचती है। जिनसे और भी खुले तौर पर प्रशासन की सारी नियम कानून की धज्जियां उड़ाते हैं।
ग्रामीण अंचल में चल रहा खेल
जिले के ग्रामीण अंचलों में देखा जाए तो बालोद ब्लाक, गुरुर ब्लाक, गुंडरदेही ब्लाक के गांवों में अंधाधुंध लकड़ी की कटाई चल रही है। वहीं, कहीं-कहीं गांव में लकड़ी तस्कर किसानों से लकड़ी खरीद कर स्टाक भी किए हुए हैं। प्रतिबंधित वृक्षों में कहवा, महुआ, आम, इमली, अर्जुन, बरगद, परसा, नीलगिरी, नीम, खम्हार जैसे दुर्लभ लकड़ी की तस्करी कर रहे हैं।
रात के अंधेरे में आरा मिलों में पहुंचाते हैं लकड़ी
बालोद से झलमला मुख्य मार्ग में रात एक से चार बजे के बीच लकड़ी तस्कर सक्रिय रहते है। इन चार घंटों में कई ट्रैक्टर लकड़ी आरा मिलों में पहुंचा दिए जाते हैं, जिससे न तो अधिकारियों को पता चल पाता है और न ही ग्रामीणों को।
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