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कुरुद वार्ड न. 7 शिव मंदिर में हुआ रुद्राभिषेक, शिवमय हुए भक्त

  छत्तीसगढ़ कौशल न्युज मुकेश कश्यप कुरुद:- सावन महीने के चतुर्थ सोमवार को आज नगर के वार्ड नम्बर सात वृंदावन सरोवर स्थित शिव मंदिर के पास वार...

 

छत्तीसगढ़ कौशल न्युज

मुकेश कश्यप कुरुद:- सावन महीने के चतुर्थ सोमवार को आज नगर के वार्ड नम्बर सात वृंदावन सरोवर स्थित शिव मंदिर के पास वार्ड निवासी श्रीरामचन्द्र चन्द्राकर परिवार व वार्ड  वासियों संयुक्त तत्वाधान में भगवान शिवजी का महारुद्रा भिषेक कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर वार्डवासियों ने बड़ी संख्या में इस पावन कार्यक्रम में शामिल होकर पुण्य के भागी बनते हुए जनकल्याण की कामना की। सुबह से ही देवो के देव महादेव के संगीतमयी भजन के साथ आस्था व भक्ति की अविरल धारा बहने लगी थी।फूल-बेलपत्र चढ़ाते हुए भक्तों ने हर-हर महादेव के जयकारे के साथ मनोकामना माँगी। वहीं महिला मंडली द्वारा संध्या के समय भजन कीर्तन से भोले बाबा के अमृत मयी रस से सराबोर होकर अपनी श्रद्धा भक्ति प्रकट की।

         मान्यताओं के अनुसार रुद्र अर्थात भूतभावन शिव का अभिषेक। शिव और रुद्र परस्पर एक-दूसरे के पर्यायवाची हैं। शिव को ही 'रुद्र' कहा जाता है, क्योंकि रुतम्-दु:खम्,द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र: यानी कि भोले बाबा सभी दु:खों को नष्ट कर देते हैं।हमारे धर्मग्रंथों के अनुसार हमारे द्वारा किए गए पाप ही हमारे दु:खों के कारण हैं। रुद्रार्चन और रुद्राभिषेक से हमारी कुंडली से पातक कर्म एवं महापातक भी जलकर भस्म हो जाते हैं और साधक में शिवत्व का उदय होता है तथा भगवान शिव का शुभाशीर्वाद भक्त को प्राप्त होता है और उनके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि एकमात्र सदाशिव रुद्र के पूजन से सभी देवताओं की पूजा स्वत: हो जाती है।रुद्रहृदयोपनिषद में शिव के बारे में कहा गया है कि सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका अर्थात सभी देवताओं की आत्मा में रुद्र उपस्थित हैं और सभी देवता रुद्र की आत्मा हैं। हमारे शास्त्रों में विविध कामनाओं की पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक के पूजन के निमित्त अनेक द्रव्यों तथा पूजन सामग्री को बताया गया है। साधक रुद्राभिषेक पूजन विभिन्न विधि से तथा विविध मनोरथ को लेकर करते हैं।

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