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कुरुद में शारदीय नवरात्रि की तैयारियां तेज, क्षेत्रीय मूर्तिकार माॅ दुर्गा की प्रतिमा को दे रहे आकार

छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज मुकेश कश्यप कुरूदः- नगर सहित क्षेत्र में नवरात्र दुर्गोत्सव की तैयारी जोरों से चल रही है।कुरुद नगर में परंपरानुसार इस ब...

छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज

मुकेश कश्यप कुरूदः- नगर सहित क्षेत्र में नवरात्र दुर्गोत्सव की तैयारी जोरों से चल रही है।कुरुद नगर में परंपरानुसार इस बार भी पूरी भव्यता के साथ माता रानी की प्रतिमा स्थापित कर नौ दिनों तक भक्ति की अविरल धारा प्रवाहित होने वाली है। विभिन्न समिति के सदस्य माता दुर्गारानी के स्वागत में लगे हुए हैं। स्थानीय मूर्तिकार माता दुर्गा की प्रतिमा को आकार दे रहे हैं। मूर्ति देखने बच्चे व समिति के सदस्य मूर्तिकार के पास पहुंच रहे हैं। नवरात्र दुर्गोत्सव की परंपरा को जीवित रखने के लिए परखन्दा निवासी मूर्तिकार भारत चक्रधारी एवं दुलेश पाड़े भी अपनी अहम भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं। पिछले डेढ़ दशक से नयनाभिराम प्रतिमाओं का निर्माण कर इस उत्सव को जीवित रखने वाले चक्रधारी व पाड़े का पूरा परिवार हर साल नवरात्र दुर्गोत्सव के करीब 5 माह पहले से ही इसकी तैयारियों में जुट जाता है। इनके हाथों बनी मूर्तियों को लेने के लिए 3 माह पहले से ही बुकिंग शुरू हो जाती है। इनकी मूर्तियों की मांग नगर सहित क्षेत्र में रहती है।मिली जानकारी अनुसार 

केवल मिट्टी, पैरा, रुई व राखड़ का उपयोग कर मूर्तियों को बनाया जा रहा है। मूर्तिकारों ने बताया कि माॅ दुर्गा विसर्जन से नदियों व तालाबों का पानी दूषित न हो इसका पूरा ख्याल मूर्ति निर्माण के समय करते हैं। इनके द्वारा बनाई जाने वाली लगभग 200 मूर्तियों में प्राकृतिक रंगों का ही इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा मूर्तियां केवल मिट्टी, पैरा. रुई एवं राखड़ जैसे पदार्थों से ही बनाते है जिसके कारण मूर्तियों को विसर्जन करने के बाद भी पानी दूषित नहीं होता है।

मांग अनुरूप भी मूर्ति बना दुलेश पाड़े ने बताया कि उनके द्वारा सालभर के त्योहार के लिए प्रतिमाए बनाई जाती है। परिवार केवल माता दुर्गा के लिए या कृष्ण के लिए ही नहीं, बल्कि गौरी-गोरा, तीज, गणेश पूजा जैसे त्योहारों में भी लोगों के लिए प्रतिमाएं बनाते हैं, जिन्हें लोगों द्वारा काफी पसंद भी की जाती है। उनके द्वारा हर साल मूर्ति बनाई जाती है। वे अपने पिताजी के समय से मूर्ति बनाते आ रहे हैं और आगे भी जारी रखेंगे।

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