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नागरी लिपि परिषद द्वारा मनाया गया आजादी का अमृत महोत्सव व स्थापना दिवस

छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज मुकेश कश्यप@रायपुर:- आचार्य विनोबा भावे की सत् प्रेरणा से 17 अगस्त 1975 को स्थापित नागरी लिपि परिषद राजघाट नई दिल्ली न...

छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज
मुकेश कश्यप@रायपुर:- आचार्य विनोबा भावे की सत् प्रेरणा से 17 अगस्त 1975 को स्थापित नागरी लिपि परिषद राजघाट नई दिल्ली ने आजादी के अमृत महोत्सव सहित अपना 48 वाँ गौरवशाली स्थापना दिवस बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया | गांधी दर्शन के टैगोर सभागार में 17 अगस्त, 2022 को संपन्न विशेष समारोह में अनेक गणमान्य महानुभावों की सक्रिय उपस्थिति रही।

आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष में नागरी लिपि परिषद ने गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार तथा 36 नागरी-हिंदी स्वयंसेवी संस्थाओं के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित समारोह का विधिवत उद्घाटन केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल तथा केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा, भारत सरकार के उपाध्यक्ष श्री अनिल शर्मा जोशी ने दीप प्रज्वलित कर किया।

उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता नागरी लिपि परिषद, नई दिल्ली के अध्यक्ष तथा पूर्व कुलपति डॉ. प्रेमचंद पातंजलि ने की | इस अवसर पर मंच पर भूटान देश के राजदूतावास के द्वितीय सचिव किनले नामगे, विश्व नागरी विज्ञान संस्थान, गुरुग्राम (हरियाणा) के संस्थापक अध्यक्ष तथा स्वाधीनता सेनानी बलदेव राज कामराह, गांधी हिंदुस्तानी साहित्य सभा की अध्यक्ष सुश्री कुसुम बेन शाह, नागरी लिपि परिषद के कार्याध्यक्ष एवं पूर्व प्राचार्य डॉ. शहाबुद्दीन शेख पुणे, महामंत्री डॉ. हरिसिंह पाल, उपाध्यक्ष डॉ. सी. ई. जीनी, मिजोरम, हिन्दी प्रेमी मंडली, हैदराबाद के अध्यक्ष श्री. चवाकुल रामकृष्ण राव की विशेष उपस्थिति रही, समारोह में मिजोरम, तेलंगाना, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार और उत्तराखंड के 125 से अधिक नागरी हिन्दी सिवियों ने उत्साह पूर्वक सहभागिता की “लिपि एवं भाषा विमर्श” विषय को केंद्रित करते हुए मंचासीन महानुभावों ने अपने विचार व्यक्त किए।

              केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल, भारत सरकार के उपाध्यक्ष श्री. अनिल शर्मा जोशी जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमें हिंदी सहित भारतीय भाषाओं व नागरी लिपि के प्रति सजग रहना चाहिए। क्योंकि वर्तमान में 55% किताबें अंग्रेजी की खरीदी जा रही है और सभी भारतीय भाषाओं की किताबें खरीदी का प्रमाण मात्र 45% है। हमारे प्रधानमंत्री श्री. नरेंद्र मोदी जी की अध्यक्षता में घोषित नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति समस्त भारतीय भाषाओं के महत्व को समझ रही है | जो भारतीय भाषाओं तथा नागरी लिपि को शक्ति प्रदान करेगी | गांधी हिंदुस्तानी प्रचार सभा, राजघाट, नई दिल्ली की अध्यक्ष सुश्री कुसुम बें शाह ने नागरी लिपि के संदर्भ में आचार्य काकासाहेब कालेलकर के विचारों को केंद्र में रखते हुए व्यक्त किया कि लोग वर्णमाला और लिपि को एक ही मानते हैं | वस्तुतः दोनों अलग चीजें हैं। वर्णमाला ध्वनि व्यवस्था होती है और लिपि उन वर्णों को व्यक्त करने के लिए पसंद की हुई आकृतियाँ हैं | वर्ण ज्यादातर श्रवण का विषय है। लिपि देखने और हाथ से खींचने की चीज है। देवनागरी की वर्णमाला वैज्ञानिक है | नागरी लिपि परिषद से लंबे समय से जुड़े स्वाधीनता सेनानी श्री. बलदेवराज कामराह तथा परिषद की उपाध्यक्ष प्रो. सी. ई. जीनी, मिजोरम ने भी अपने मौलिक विचार रखें ।

उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए नागरी लिपि परिषद के अध्यक्ष व पूर्व कुलपति डॉक्टर प्रेमचंद पातंजलि ने अध्यक्षीय समापन में सहभागी संस्थाओं - केंद्रीय सचिवालय हिंदी परिषद, नई दिल्ली, अंतरराष्ट्रीय हिंदी परिषद, दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मेलन राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना, उज्जैन, आर्थस गिल्ड ऑफ इंडिया, नई दिल्ली, जीरो माइल फाउंडेशन, नागपुर, विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज, अखिल विश्व हिंदी समिति, न्यूयॉर्क, अमेरिका, यूरोपियन हिंदी समिति, नीदरलैंड, भारतीय नारवेजियन सूचना व सांस्कृतिक फोरम, ओस्लो, नार्वे हिंदी प्रेमी मंडल, हैदराबाद, सनेही मंडल नोएडा, नागरी लिपि परिषद, छत्तीसगढ़ व मध्य प्रदेश इकाई, यतीन्द्र साहित्य सदन, भीलवाड़ा, राजस्थान, भाषा अभियान, दिल्ली, परिवर्तन राजभाषा अकादमी, दिल्ली, हिंदी की गूंज, दिल्ली, अंतरराष्ट्रीय हिंदी परिषद पटना, बिहार, शैक्षिक आगाज, सहारनपुर, अंतर्राष्ट्रीय शब्द सृजन, गाजियाबाद, वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुंबई, देशज फाउंडेशन, कानपुर साहित्य भारती, दिल्ली सहित 36 सहभागी संस्थाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि सहलिपि के रूप में नागरी के प्रयोग से भारतीय भाषाओं के के माध्यम से देश की एकता को सुदृढ़ बनाना होगा ।

             प्रारंभ में प्रास्ताविक भाषण में विषय प्रवर्तन करते हुए नागरी लिपि परिषद, नई दिल्ली के महामंत्री डॉ. हरिसिंह पाल ने कहा कि देश की राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ करने में नागरी लिपि की महत्वपूर्ण भूमिका है, इसे सशक्त करने की आवश्यकता है । 

नागरी लिपि परिषद के संयुक्त मंत्री डॉ. विनोद बब्बर के उत्कृष्ट व सफल संचालन में समारोह का शुभारंभ डॉ. रश्मि चौबे ,गाजियाबाद की सरस्वती वंदना से हुआ। डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक, रायपुर, छत्तीसगढ़ ने प्राप्त लगभग 80 संदेशों का वाचन आती संक्षिप्त रूप में किया परिषद के कार्याध्यक्ष डॉ. शहाबुद्दीन शेख, पुणे ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि विश्व की समस्त लिपियों में नागरी लिपि ही सर्वाधिक वैज्ञानिक लिपि है आधुनिक युग में हिंदी का प्रचार प्रसार व्यापक स्तर पर हो रहा है परंतु दुख की बात है कि सोशल मीडिया सहित अधिकांश क्षेत्रों में हिंदी के लिए नागरी लिपि के बदले रोमन को अपनाया जा रहा है। यह स्थिति भारतीय भाषाओं, नागरी लिपि तथा भारतीय संस्कृति के लिए बाधक है।
               इस अवसर पर परिषद के महामंत्री डॉक्टर हरिसिंह पाल, नत्थी सिंह बघेल, नीलम सिंह, रजनी सिंह, डॉ. प्रभु लाल चौधरी, भूपसिंह यादव, कर्मवीर सिंह तथा डॉ.शहाबुद्दीन नियाज मुहम्मद शेख पर केंद्रित पुस्तक सहित अनेक ग्रंथों का लोकार्पण किया गया। समारोह में नागरी लिपि के क्षेत्र में उत्कृष्ट व एवं दीर्घकालीन सेवाओं तथा सर्वाधिक आजीवन सदस्य बनाने हेतु परिषद के कार्याध्यक्ष तथा पूर्व प्राचार्य डॉ. शहाबुद्दीन नियाज मुहम्मद शेख,पुणे, महाराष्ट्र सहित दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, हैदराबाद, संचालित हिंदी प्रेमी मंडली, सिकंदरा बाद के अध्यक्ष नागरी प्रेमी श्री चवाकुल रामकृष्ण राव, नागरी लिपि परिषद के मध्य प्रदेश संयोजक डॉक्टर प्रभु लाल चौधरी, गांधी हिंदुस्तानी साहित्य सभा, दिल्ली की अध्यक्ष सुश्री कुसुम बेन शाह, अंतरराष्ट्रीय हिंदी परिषद,पटना के अध्यक्ष श्री. वीरेंद्र कुमार यादव, पत्रकार राकेश छोकर, नोएडा, वरिष्ठ पत्रकार व परिषद के संयुक्त मंत्री डॉ. विनोद बब्बर, दिल्ली, फतेह सिंह लोढ़ा, भीलवाड़ा, परिषद की छत्तीसगढ़ इकाई की प्रतिनिधि डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक, रायपुर, छत्तीसगढ़, डॉ. रश्मि चौबे गाजियाबाद उर्मिला पोरवाल, बेंगलुरु,, कर्नाटक भारतीय हिंदी संस्थान की अध्यक्ष डॉ सी ई जीनी, मिजोरम, भूटान राज दूतावास के द्वितीय सचिव श्री. किनले नामगे तथा वैश्विक हिंदी सम्मेलन के निदेशक डॉ. मोतीलाल गुप्ता, मुंबई को शॉल, प्रशस्ति पत्र ,राजस्थानी पगड़ी से सम्मानित किया गया | हिंदी प्रेमी मंडली, हैदराबाद की ओर से परिषद के अध्यक्ष डॉक्टर प्रेमचंद पातंजलि और डॉ.महामंत्री हरिसिंह पाल को दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा की शॉल और सम्मान राशि देकर गौरवान्वित किया गया। इसके अतिरिक्त श्रीमती रजनी सिंह, जसाला फाउंडेशन के श्री सुरेश पाल वर्मा, विश्व नागरी विज्ञान संस्थान, गुरुग्राम के निदेशक डॉ श्याम अग्रवाल, देशज फाउंडेशन, कानपुर के राजीव कुमार पाल, दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मेलन के उपाध्यक्ष डॉक्टर रामगोपाल शर्मा, आर्थस गिल्ड ऑफ इंडिया के महासचिव डॉ. शिव शंकर अवस्थी, भाषा अभियान के डॉ. चेतन बाछोतिया सहित अनेक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने शॉल, स्मृति चिन्ह से नागरी सेवियों को सम्मानित किया।
           द्वितीय सत्र में कर्मचारी राज्य बीमा निगम के संयुक्त निदेशक (राजभाषा) डॉ. श्याम सुंदर कथूरिया ने सूचना प्रौद्योगिकी और नागरी लिपि विषय पर पीपीटी व्याख्यान प्रस्तुत किया। तृतीय सत्र में परिषद के कोषाध्यक्ष श्री. ओम प्रकाश आचार्य के संचालन में डॉ. पूर्ण सिंह डब्बास, डॉ. वेद प्रकाश गौड़, डॉ पंकज दीवान, फतेह सिंह लोढ़ा, अखिलेश आर्यनुदु ने राष्ट्रीय एकता में नागरी लिपि के महत्व पर प्रकाश डाला, चतुर्थ सत्र में डॉ. रश्मि चौबे के संचालन में क्रमशः डॉ. जयराम राम, अरुण पाल, बृजपाल सिंह संत, सुरेश पाल वर्मा, शशि त्यागी, स्मृति चौधरी, राजपाल यादव, डॉ. राहुल भूप सिंह यादव, उमाकांत वर्मा, ओंकार त्रिपाठी, डॉ. राजीव पांडे, जितेंद्र पांडे, प्रमिला कौशिक, परिषद के कार्यालय मंत्री अरुण कुमार पासवान, दिनेश उपाध्याय, अटल मुरादाबाद, डॉ. अशोक कौशिक ने नागरी-हिन्दी के महत्व पर केंद्रित रचनाओं का पाठ किया। अंत में परिषद के महामंत्री डॉ. हरिसिंह पाल ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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