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मूलनिवासी समाज दिवस पर एससी एसटी ओबीसी मिलकर चर्चा करें- शंकर रात्रे

  छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज मुकेश कश्यप@ कुरूद । भारत में भारतीय मूल निवासियों के इतिहास को आज खोजने की आवश्यकता है। जब तक एससी, एसटी ,ओबीसी और अ...

 

छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज

मुकेश कश्यप@ कुरूद । भारत में भारतीय मूल निवासियों के इतिहास को आज खोजने की आवश्यकता है। जब तक एससी, एसटी ,ओबीसी और अल्पसंख्यक समाज एक साथ मिलकर अपने दुख सुख की चर्चा नहीं करेंगे ,तब तक अपने इतिहास को नहीं जान पाएंगे। इसलिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने 9 अगस्त को मूलनिवासी समाज दिवस मनाने की घोषणा की है। ताकि भारतीय मूलनिवासी समाज के एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक समाज एक साथ बैठकर अपनी सामाजिक, आर्थिक समस्याओं तथा अपने दुख सुख और संविधानिक हक अधिकारों के संबंध में चर्चा कर सकें। उपरोक्त बातें एससी,एसटी, ओबीसी एवं अल्पसंख्यक संयुक्त मोर्चा के धमतरी जिला संयोजक शंकर रात्रे ने प्रेस विज्ञप्ति में कही है ।उन्होंने कहा है कि भारतीय मूलनिवासी समाज के जितने भी संगठन है सभी एक मंच पर आकर मूलनिवासी समाज दिवस को वैचारिक ढंग से मनाए इस दिन अपने संवैधानिक अधिकार सामाजिक एवं सांस्कृतिक एकता सामाजिक एकीकरण रोजगार और राजनीतिक जागरूकता पर चर्चा करें शंकर रात्रे ने कहा है कि जब तक मूलनिवासी समाज एक मंच पर नहीं आएंगे तब तक अपने इतिहास को कैसे जान पाएंगे? भारत के किसी भी ग्रंथ ,वेद, पुराण ,उपनिषद और भारतीय इतिहास में मूलनिवासी समाज का इतिहास पढ़ने को नहीं मिलता ,जबकि पूरा भारत वर्ष में नाग, द्रविड़ ,दास,चंवर जैसे मूल निवासियों का राज था। यहां तक फिल्मों और धारावाहिकों और कथाओं में इतिहास की जानकारी नहीं मिलती ।महाराज भारत और सिंधु सभ्यता से लेकर भारत की आजादी की लड़ाई तक इन 5000 वर्षों का इतिहास गायब है। संयुक्त मोर्चा के जिला संयोजक शंकर रात्रे ने कहा है कि मूल निवासियों की बदौलत ही अंग्रेज देश छोड़कर चले गए। जाते समय देश की बागडोर भारत के मूल निवासियों के हाथों सौंपने का भरसक प्रयास किया। जिसके ही परिणाम स्वरूप बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को भारत के संविधान लिखने का अवसर मिला। शंकर रात्रे ने एससी एसटी ओबीसी और अल्पसंख्यक समाज को एक साथ मिलकर 9 अगस्त को मूलनिवासी समाज दिवस मनाने की अपील की है।

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