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छत्तीसगढ़: ऐसे सवंरेगा नौनिहालों का जीवन ! बोर हुआ खराब…तो 200 मीटर दूर से पानी ढोने मजबूर छात्र...अधीक्षिका भी नदारद

  छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज कबीरधाम। जिले का एक बड़ा हिस्सा सुदूर वनांचल व पहाड़ों से घिरा हुआ है। जहां विशेष पिछड़ी बैगा आदिवासी लोग निवासरत है...

 

छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज

कबीरधाम। जिले का एक बड़ा हिस्सा सुदूर वनांचल व पहाड़ों से घिरा हुआ है। जहां विशेष पिछड़ी बैगा आदिवासी लोग निवासरत है। इन क्षेत्रों में शिक्षा भगवान भरोसे पर चल रही है। आदिवासी व बैगा जनजाति के बच्चों के लिए आश्रम व हॉस्टल तो खोले गए है, लेकिन जिसकी जिम्मेदारी पर छोटे-छोटे बच्चों को पालक छोड़कर जाते हैं वे जिम्मेदार हॉस्टल से नदारत रहते हैं।

जिले के ज्यादातर हॉस्टल का यही हाल है। जिले में 100 हॉस्टल व आश्रम है। ताकि वनांचल के पिछड़े हुए आदिवासी बैगा जनजाति के बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल पाए। इसी उम्मीद पर पालक भी अपने बच्चों को हॉस्टल में छोड़कर जाते हैं। पर यहाँ हॉस्टल की स्थिति कुछ और ही बयां कर रही है।

ग्राम लरबक्की के आदिवासी कन्या आश्रम का भी यही हाल देखने को मिला। जहां छोटे-छोटे बच्चों से हॉस्टल के लिए पानी भरवाते नजर आए। जबकि हॉस्टल में चौकीदार व रसोईया भी है। उनके रहते बच्चों से काम कराया जा रहा है। यही नही हॉस्टल की अधीक्षिका भी आए दिन नदारत रहती है।

हॉस्टल का बोर खराब, 200 मीटर दूर जाकर ला रहे पानी

जब बच्चों से पूछा गया तब पता चला कि हॉस्टल का बोर 3 से 4 दिन पहले खराब हो चुका है ऐसे में 200 मीटर दूर गांव के अंदर जाकर पानी लाना पड़ रहा है। सुदूर वनांचल गांव होने के कारण ज्यादातर अधिकारी इन क्षेत्रों में जांच करने तक नही जाते।

हॉस्टल व आश्रम चौकीदार रसोईयों के भरोसे छोड़कर अधीक्षिका नदारद

यही कारण है कि हॉस्टल व आश्रम चौकीदार रसोईयों के भरोसे छोड़कर अधीक्षिका नदारद रहती है। वही जब आदिम जाति के आयुक्त से इस बारे में जनाकारी मांगी गई तब जांच व कार्यवही का दावा किया गया। भले ही अधिकारी जांच व कार्यवही का दावा कर रहें हैं। पर जिले के ज्यादातर हॉस्टल व आश्रम का यही हाल है। ऐसे में बच्चे अपना भविष्य कैसे गढ़ पाएंगे।

      पत्रकार

रवि सोनकर दुर्ग भिलाई

मो. 8959665555

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