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बड़ी खबर: मासूम की मौत के मामले में काला-पीला करने में जुटी जांच टीम, पीडि़त से लिया बयान

  छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज  रवि सोनकर  दुर्ग । भिलाई   दो माह के मासूम की पर्ची में पहले कोरोना पॉजिटिव लिखा गया और जिला अस्पताल, पंड्री, रायपुर...

 


छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज 

रवि सोनकर  दुर्ग । भिलाई  दो माह के मासूम की पर्ची में पहले कोरोना पॉजिटिव लिखा गया और जिला अस्पताल, पंड्री, रायपुर रवाना किए। वहां पॉजिटिव मरीज को दाखिल नहीं किया जाता है तो उन्होंने मेकाहारा, रायपुर जाने कहा। मेकाहारा पहुंचने पर ऐप में वे बेड तलाश रहे थे तब तक मासूम ने दम तोड़ दिया। मासूम बच्ची की मौत के बाद जांच रिपोर्ट में वह कोरोना संक्रमित नहीं है यह रिपोर्ट आया। यह रिपोर्ट पॉजिटिव आए या नेगेटिव दोनों ही स्थिति में लापरवाही स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार लोगों की सामने आ रही है। अब जांच कमेटी मामले को काला-पीला करने में जुटी है। वे इसे मानवीय त्रुटी बताकर ठंडे बस्ते में डालना चाहते हैं। यह बात जांच कमेटी के सामने बयान देने के बाद पीडि़त परिवार की ओर से मासूम के मामा रवि कुमार ने कही।

यहां हुई चूक चिकित्सकों का कहना है कि मासूम संक्रमित ही थी, तब सीरियस मरीज को ऐसे अस्पताल में रायपुर क्यों भेजा गया, जहां पॉजिटिव मरीज को दाखिल नहीं करते। वहां वेंटिलेटर था, लेकिन पर्ची में पॉजिटिव लिखा देखकर मेकाहारा, रायपुर जाने के लिए कहा गया। अगर जिला अस्पताल, दुर्ग से ही सीधे उक्त मरीज को मेकाहारा, रायपुर भेजा जाता तो उसके बचने की उम्मीद अधिक थी। वे एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल घूमते रहे और आखिर में अस्पताल के दरवाजे में एंबुलेंस में पड़े-पड़े बच्ची ने बिना इलाज के ही दम तोड़ दिया। जांच अधिकारियों को यहां कोई चूक नजर नहीं आ रही है।

नोडल अधिकारी को ही दिए हैं जिम्मा जिला अस्पताल, दुर्ग के कोरोना केयर सेंटर के नोडल अधिकारी एसडीएम खेमलाल वर्मा हैं। इस मामले में जांच अधिकारी उनको ही बना दिया गया है। अब वे पीडि़त परिवार को जांच के बीच में ही यह कहकर चुप कराने की कोशिश कर रहे हैं कि मासूम कोरोना संक्रमित ही थी। जांच रिपोर्ट बनाने वाले से मानवीय त्रुटी हो गई है। इस वजह से नेगेटिव लिखी रिपोर्ट आ गई है। पीडि़त पक्ष यह सुनकर हैरान है कि जिला की जिम्मेदारी जिन कंधों पर है वे इस तरह से दोषियों को बचाने के लिए बात कर रहे हैं। इस बात का पीडि़त परिवार ने एसडीएम के सामने जवाब भी दिया, तब वे यह कहकर आगे बढ़ गए कि मामले की जांच अभी जारी है।

रायपुर लेकर जाने में लगा दिया दो घंटे जांच कमेटी के सामने मासूम के मामा ने बताया कि एंबुलेंस 45 मिनट लेट से निकली। वह सवाल करते रहे कि वहां बेड की बात हो गई है क्या। अल सुबह करीब पौने चार बजे निकले और जिला अस्पताल रायपुर करीब पौने छह बजे पहुंचे। रात में रास्ता खाली था, तब भी आराम से सीरियस मरीज को वे लेकर जा रहे थे। इसके बाद मेकाहारा गए जहां करीब 6.30 मासूम ने दम तोड़ दिया। इसके पहले वहां के स्टाफ से विनती करते रहे कि एक बार मरीज को देख लो, सांस थम रही है। वे पिघले नहीं। जब वह शांत हो गई और परिवार रोने लगा तो आकर देखा और कहा कि वह नहीं रही।

उठ रहे सवाल जांच रिपोर्ट बनाने वाले से मानवीय त्रुटी हो गई है। इस वजह से नेगेटिव लिखी रिपोर्ट आ गई है। सवाल उठता है कि मासूम की मौत के बाद उसकी रिपोर्ट का क्या महत्व है। वह अगर पॉजिटिव थी, तो अस्पताल प्रबंधन को पहले एम्स या मेकाहारा, रायपुर में बात करके मरीज को रवाना करना था। मरीज को जिस अस्पताल में पॉजिटिव केस नहीं ले रहे वहां पर्ची में पॉजिटिव लिखकर क्यों भेजा गया। जिला अस्पताल में इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हो गई। इसके लिए जो जिम्मेदार हैं उसके खिलाफ एक्शन नहीं लिया जाना चाहिए क्या। जांच टीम में एसडीएम खेमलाल वर्मा, डॉक्टर एसके वालवांद्रे, डॉक्टर केके जैन, डॉक्टर खंडेलवाल शामिल हैं।

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