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छत्तीसगढ़: संकट में बोहार भाजी का अस्तित्व, सीजन चालू, कीमत आसमान पर

छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज सत्यनारायण पटेल भाटापारा : - खेती की अपनी अलग पहचान। हरी सब्जियों का अपना चलन। जी हां..! यह अपना छत्तीसगढ़ है। छत्तीसग...


छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज

सत्यनारायण पटेल भाटापारा : - खेती की अपनी अलग पहचान। हरी सब्जियों का अपना चलन। जी हां..! यह अपना छत्तीसगढ़ है। छत्तीसगढ़ की सब्जियों की बात है तो, बोहार भाजी को शिखर पर रखा जा सकता है क्योंकि महज 3 महीने मिलने वाली बोहार भाजी सबसे महंगी सब्जी है। पोषक तत्वों के खुलासे के बाद अब इसे बचाने की कोशिश की योजना के संकेत हैं।

संकट में हैं बोहार भाजी के पेड़। वानिकी वैज्ञानिकों की नजर में यह एकमात्र ऐसा वृक्ष है, जिसके फूलों की सब्जी बड़े चाव से ना केवल बनाई और खाई जाती है बल्कि कीमत भी सबसे ज्यादा देती है। मौसम के बदलते मिजाज के बीच अब इसकी पहुंच बाजार में हो चुकी है और कीमत भी अच्छी मिल रही है। यह इसलिए क्योंकि मांग की तुलना में आपूर्ति बेहद कम है और यह इसलिए बढ़ाई नहीं जा सकती क्योंकि इसके पेड़ों की संख्या घटते क्रम पर है।

क्या है बोहार भाजी :

प्राकृतिक रूप से तैयार होने वाले कॉर्डिया डाइकोटोमा के वृक्ष में हरी पत्तियां होती हैं। इन्हीं पत्तियों के बीच गुच्छेदार फूल लगते हैं। जब ये कलियों के स्वरूप में होतीं हैं, इसी दौरान इन्हें तोड़ा जाता है क्योंकि फूलों में पंखुड़ियां लगने के बाद यह सेवन के योग्य नहीं रह जातीं। कलियों के ऐसे ही समूह को बोहार भाजी के नाम से जाना जाता है।

सिर्फ तीन माह : मार्च, अप्रैल और मई माह में ही मिलने वाली बोहार भाजी ने बाजार में दस्तक दे दी है। तोड़ने में अनुभव की जरूरत होने की अनिवार्यता भी इसकी कम आपूर्ति की वजह है। भरपूर पोषक तत्व से युक्त बोहार भाजी में कफ दूर करने के तत्व मिले हैं। विषनाशक तो है ही, साथ ही कृमि भी खत्म करता है। इसकी वजह से पाचन शक्ति बढ़ाने में भी मदद मिलती है। अतिसार खत्म करता है तो, दर्द भी दूर करती है। पत्तियों के सेवन से कई रोग को नियंत्रित किया जा सकता है। पेड़ की छाल पीसकर त्वचा में लगाने से खुजली से छुटकारा पाया जा सकता है।

संकट में जीवन : पेंड्रा, मरवाही, खोंडरी और खोंगसरा के जंगलों में इसके वृक्ष अभी भी बहुतायत में हैं लेकिन अब इनकी संख्या कम होने लगी है। लिहाजा इनको बचाने की कोशिश की तत्काल आवश्यकता है क्योंकि यह न केवल भरपूर आय का साधन हैं बल्कि इसके जरिए बिगड़ते वन को सुधारा जा सकता है। इसके अलावा बीज उत्पादन पर भी ध्यान देना होगा ताकि इनका अस्तित्व बचा रहे।

“बोहार भाजी निश्चित ही मूल्यवान है। औषधीय महत्व को देखते हुए इसके संवर्धन और बीज उत्पादन की ओर ध्यान दिए जाने के प्रयास हैं।”

डॉ. अजीत विलियम्स,साइंटिस्ट फॉरेस्ट्री, टी सी बी कॉलेज आफ एग्री एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर, 

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